दतिया। गोराघाट थाना क्षेत्र के नेशनल हाईवे-44 स्थित बड़ोंनकलां तिराहे पर वर्चस्व को लेकर हुए विवाद में घायल रेत माफिया बाबू पाल की ग्वालियर के लिंक अस्पताल में मौत हो गई। बाबू पाल की आपराधिक पृष्ठभूमि रही है, और वह लंबे समय से अवैध रेत खनन से जुड़ा हुआ था।
झगड़ा या साजिश?
घटना के समय ग्राम सरपंच नरेश शिवहरे भी मौके पर मौजूद थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, नरेश शिवहरे झगड़े को शांत कराने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन इसी बीच बाबू पाल पर हमला हो गया। झगड़े में किसने प्रहार किया, यह स्पष्ट नहीं हो सका है।
पुलिस जांच में जुटी
बाबू पाल ने मरने से पहले पुलिस को दिए बयान में नरेश शिवहरे, पवन शिवहरे, प्रमोद शिवहरे (निवासी बड़ौनकलां), गोलू रावत और मोनू रावत (निवासी पचोखरा) सहित तीन अज्ञात लोगों का नाम लिया था। पुलिस ने नामजद आरोपियों पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। वहीं शव को ग्वालियर के पीएम हाउस पहुंचाकर शव परीक्षण कराया जा रहा है।
स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर दो तरह की चर्चाएं हैं—कुछ इसे पुरानी रंजिश का नतीजा मान रहे हैं,
वही आपको बता दें कि बाबू पाल दतिया जिले की बडोनकला के सामने की रेत खदान को बड़े स्तर पर संचालित कर रहा था।