सुदामा चरित्र की कथा के साथ हुआ भागवत कथा का समापन

संवाददाता सार्थक नायक

 

गुरसरांय।ग्राम भस्नेह में आयोजित यज्ञ में चल रही श्रीमद्भागवत कथा का सुदामा चरित्र की कथा के साथ समापन हो गया। भागवत कथा व्यास पं भगवत नारायण समाधिया महाराज ने भगवान कृष्ण के परम सखा सुदामा जी का वर्णन करते हुए कहा सुदामा परम संतोषी ब्राह्मण थे।शास्त्रों में संतोषी को परम धनवान कहा गया है।उन्होंने कहा जिसकी सेवा में द्वारिका धीश एवं लक्ष्मी स्वयं लगे हों वह दरिद्र नहीं हो सकता।

कथा व्यास ने कहा भगवान को प्राप्त करने के लिए भक्ति मार्ग एवं ज्ञान मार्ग दो साधन बताए जिसमे भक्ति मार्ग को सबसे सरल साधन बताया।कलयुग में हरी नाम संकीर्तन सबसे बड़ा मुक्ति का साधन है।

कथा ब्यास ने दत्रात्र्येय के चौबीस गुरुओं का वर्णन करते हुए कहा कि विवेक की दृष्टि खुली हो तो शिक्षा कहीं से भी प्राप्त की जा सकती है।उन्होंने कहा कि शिक्षा के अनेक गुरु हो सकते है लेकिन दीक्षा गुरु एक ही होना चाहिए। संगीतमय भागवत कथा में भजनों की प्रस्तुति पर श्रोता नाच उठे।भजन गायक एवं ऑर्गन पर सतीश पटेल, नाल पर देवेंद्र घोष,तबला पर धर्मेंद्र कौशिक ने संगत की।

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