खबरों के खिलाड़ी:राहुल के बयान और अदाणी की जांच की मांग के बीच संसद ठप, जिम्मेदार कौन? जानिए विश्लेषकों की राय

अमर उजाला के खास शो ‘खबरों के खिलाड़ी’ की चौथी कड़ी के साथ एक बार फिर हम आपके सामने हाजिर हैं। इस मजेदार चुनावी चर्चा को अमर उजाला के यू-ट्यूब चैनल पर शनिवार रात 9 बजे और रविवार सुबह 9 बजे देखा जा सकता है।

राहुल गांधी के विदेशी धरती पर दिए बयान पर हंगामा अभी भी जारी है और इस मुद्दे पर देश की संसद ठप है। विपक्ष महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों के बजाय सिर्फ अदाणी मामले पर फोकस कर रहा है। वहीं, सरकार राहुल गांधी की माफी पर अड़ी है। …तो आइए जानते हैं कि इसके क्या राजनीतिक निहितार्थ हैं और इस पूरे मसले पर विश्लेषकों की क्या राय है। आज हमारे साथ चर्चा के लिए मौजूद हैं विनोद अग्निहोत्री, सुमित अवस्थी, हर्षवर्धन त्रिपाठी, अवधेश कुमार और रेनु मित्तल। पढ़िए चर्चा के कुछ अंश….

सुमित अवस्थी

‘राहुल गांधी ने विदेश जाकर जो बयान दिया, उसे लेकर सत्ता पक्ष माफी की मांग कर रहा है, लेकिन ये अहम है कि जनता का इस पर क्या सोचना है? क्या देश की जनता राहुल गांधी से माफी सुनना चाहती है या इसे बेवजह मुद्दा बनाया जा रहा है? जॉर्ज सोरोस और राहुल गांधी के बयानों में समानता दिख रही है, ऐसे में सवाल उठता है कि क्या विदेशी ताकतें इसमें शामिल हैं? सेबी अदाणी मामले की जांच कर रही तो क्या ऐसे में विपक्ष की जेपीसी की मांग सही है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि उनकी ताकत है तो विपक्ष अदाणी मामले से उनकी इसी छवि को निशाना बनाना चाह रहा है। सदन चलनी चाहिए और सत्ता विपक्ष को संवाद करके संसद चलानी चाहिए। ये दोनों पक्षों की जिम्मेदारी है। 

रेनु मित्तल

सरकार अदाणी मामले पर ज्यादा बोलना नहीं चाहती और इससे बच रही है। यही वजह है कि कांग्रेस लगातार इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है। प्रधानमंत्री ने भी विदेश में जाकर देश के बारे में ऐसी बातें कही थीं, तो अब राहुल गांधी के बयान को लेकर इतना हल्ला क्यों मचाया जा रहा है? संसद में अगर कोई जवाब देना चाहता है तो उन्हें जवाब क्यों नहीं देने दिया जा रहा! पूरा विपक्ष जवाब मांग रहा है तो प्रधानमंत्री को इस पर बोलना चाहिए। समिति बनाने की मांग मानी जानी चाहिए। राहुल गांधी ने अदाणी पर जो भी बोला, उसे संसद की कार्यवाही से हटा दिया गया! सरकार चाहती है कि अदाणी मामले पर बहस ना हो इसलिए राहुल गांधी के बयान को मुद्दा बनाया जा रहा है। अदाणी मामले पर सरकार ने कोई जांच नहीं की, इसे लेकर सरकार पर सवाल उठ रहे हैं। जॉर्ज सोरोस के मामले को उठाकर सरकार भ्रमित करना चाहती है। सोरोस इतना अहम नहीं है कि सरकार उसे इतनी गंभीरता से ले।’ 

अवधेश कुमार

‘देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी का अघोषित सबसे बड़ा नेता अगर विदेश में जाकर देश का अपमान करता है तो यह शर्मनाक है। अगर आप कहते हैं कि हमारे देश से लोकतंत्र खत्म हो रहा है, न्यायपालिका पर आरोप लगा रहे हैं, इसे सही नहीं कहा जा सकता। सिर्फ माफी मांग लेने से राहुल गांधी का अपराध खत्म नहीं हो जाएगा। इसका जवाब देश की जनता देगी। सरकार द्वारा संसद नहीं चलने देने के आरोपों पर उन्होंने कहा कि 2012 से लेकर 2014 तक कांग्रेस के सदस्यों ने भी संसद नहीं चलने दी थी, जबकि कांग्रेस की ही सरकार थी। उस वक्त तेलंगाना और महिला विधेयक के मुद्दों पर संसद डेढ़-दो साल तक बाधित रही।’ 

लोगों के मन में ये भाव है कि अगर हमारे देश का उद्योगपति चीन और दुनिया के उद्योगपतियों से प्रतिस्पर्धा कर रहा है तो इससे देश का मान बढ़ा है। हमारे देश में संसद में जितनी भी जेपीसी बनी हैं, उनका क्या हाल हुआ है, यह सर्वविदित है। जेपीसी कभी किसी मुद्दे के निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाई है। वह सिर्फ राजनीतिक मुद्दा बना है। दिशाहीन, साख विहीन विपक्ष बिना वजह के मुद्दे बना रहा है। सोरोस को मलेशिया के पूर्व राष्ट्रपति महातिर मोहम्मद ने भी आर्थिक आतंकवादी करार दिया था।’ 

विनोद अग्निहोत्री

‘अदाणी वाले मामले पर चर्चा से सरकार घिर सकती है। ऐसे में राहुल गांधी के मामले को उछाला जा रहा है। मुझे लगता है कि सरकार इस पर फंस गई है क्योंकि राहुल गांधी अगर बोलेंगे तो वह फिर अदाणी मामले पर सरकार को घेर सकते हैं। अगर स्पीकर उनके भाषण से अदाणी मुद्दे पर बोले अंश हटाते हैं तो राहुल गांधी की बात फिर सही साबित होगी। अगर राहुल गांधी को संसद से निलंबित किया जाता है तो भी राहुल गांधी के सेंसरशिप वाले बयान को समर्थन मिलेगा। ऐसे में सरकार के लिए यह मामला थोड़ा पेचीदा हो गया है। वहीं विपक्ष के लिए भी मुश्किल है क्योंकि राहुल गांधी को बोलने दिया गया तो विपक्ष किस तरह से इस मामले पर आगे बढ़ेगा? यह साफ नहीं है। विपक्ष महंगाई, बेरोजगारी का मुद्दा उठा रहा है, लेकिन इन मुद्दों पर चुनाव नहीं जीते जाते। चुनाव का फैसला भावनात्मक मुद्दों पर होता है।’ 

‘अदाणी के नंबर दो बनने से किसी को परेशानी नहीं है, लेकिन गलत तरीकों की जांच होनी चाहिए। राष्ट्रवाद की आड़ में गलत तरीकों को छिपाया जा रहा है। मुंद्रा बंदरगाह पर अगर ड्रग्स पकड़ी जाएगी तो उनसे सवाल होंगे ना, वह आधारभूत ढांचे का विकास कर रहे हैं तो इस बात के लिए थोड़े ही उन्हें छोड़ दिया जाएगा! कांग्रेस के समय में अंबानी पर भी ऐसे आरोप लगते थे। अगर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट नहीं आई होती तो अदाणी पर कोई सवाल नहीं खड़े करता।’ 

हर्षवर्धन त्रिपाठी

‘सांसद जो भी है, उसे बोलने का मौका मिलना ही चाहिए इसमें कोई शक नहीं है। पीएम मोदी ने बोला था कि 2014 के पहले देश में पैदा होने वालों को शर्म आती थी, प्रधानमंत्री के इस बयान को विपक्ष निशाना बना रहा है लेकिन हमें यह समझना होगा कि जून 2012 में मशहूर उद्योगपति अजीम प्रेमजी ने कहा था कि देश, नेता विहीन हो गया है। अगर यही चलता रहा तो हमें बरसों इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा। दुनियाभर के लोग भारत को इस तरह से देख रहे थे। उस संदर्भ में प्रधानमंत्री मोदी बात कर रहे थे। राहुल गांधी ने अगर प्रधानमंत्री मोदी की नकल की है तो बहुत बुरी नकल की है। जॉर्ज सोरोस ने देश विरोधी बात कही है और अगर वही बात राहुल गांधी कहेंगे तो उसे कैसे सही कहा जा सकता है। विपक्ष रणनीतिक तौर पर प्रधानमंत्री को नहीं घेर पा रहा है और इसी लिए बार-बार अदाणी मामले को उठा रहा है।’ 

‘राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर नहीं थी। उनकी यात्रा में सिर्फ हिंदू-मुस्लिम को मुद्दा बनाया गया। राहुल गांधी ने संसद में भी कोई गंभीर मुद्दा नहीं उठाया है। इनकी अपनी कोई सोच नहीं है। राहुल गांधी और पूरी कांग्रेस हताश और निराश है और यही वजह है कि ये देश में अराजकता पैदा करना चाहते हैं। ममता बनर्जी, अशोक गहलोत अदाणी समूह के सामने आवाज नहीं उठा रहे हैं क्योंकि अदाणी समूह के इन राज्यों में प्रोजेक्ट चल रहे हैं। भूपेश बघेल अदाणी समूह को खदान के लाइसेंस पर लाइसेंस दिए जा रहे हैं। अदाणी ने दुनिया में ‘ब्रांड इंडिया’ को स्थापित किया है। राहुल गांधी और उनकी पार्टी के जनता की नब्ज कतई नहीं पता। भारतीय जनता पार्टी पर संस्थाओं के दुरुपयोग के आरोप लग रहे हैं, लेकिन क्या जो आरोप लगा रहे हैं वो सब क्या पाक-साफ हैं? देश को भरोसा है कि मोदी जी ईमानदार है। जनता अब समझदार हो गई है।’

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